बेरंग होली रंगीन हो गई
बेरंग होली रंगीन हो गई
ओम नाम का एक लडका था ! ओम साधारण घर का लडका था, ओम सात साल का लडका ,ओम की माँ दूसरों के घर के काम करती थी झाडू पोछा बर्तन हर घर घर मे जाकर काम करती थी! ओम के पापा नही थे,,, ओम भले ही छोटा सा था और समजदार लडका था,,, उसके पास उसकी मा और दादी छोटी बहन , ओम अपनी बहन से बहुत प्यार करता था!
अचानक ओम कीबहन बिमार पड गई थी उसकी दादी दूसरों के खेत मे काम करने के लिए चली गई ,,, उसकी मांं दूसरों के काम करने केेे लिए चली गई ओम के घर मे ओम और उसकी बहन थी ओम की बहन का नाम पीहू था,,, घर मे कुछ था नही खाने के लिए बिना खाने की वजह वो बिमार पड गयी थी छोटा सा परेशन होता ,,, ओम सोच रहा था कि मै क्या करू मा को बुलाने जाओ तो बहना अकेली रह जायेगी,,, ओम ने अडस पडोसं खाना मांगा,,, ओम को झटका दिया ओम बहुत परेशान हो रहा था मैै छोटी बहन को खाना कैसे दे दु, भगवान को याद कर रहा था हे भगवान कुछ भी करने के लिए मुझे रास्ता दिखाओ मै क्या करू कैसेे मेरे बहन की भूक मिटाऊ तुम्हारेे सिवा कोई नही दिख रहा है ऐसाा सोच रहा था कि एक बुढा आदमी बॅग को घसीटकर ले जा रहा था,
ओम उस आदमी के पास चला गया और बोला "मै आपको मदद करता हु मुझेेे मदद करने दिजीए",,, उस बुढे आदमी ने बोला "तुम तो छोटे हो तुम मुझे मदद कैसे करोगे?" ओम हाथ जोडकर आखो मे आसु ला कर बोलने लगा मेरी छोटी बहन बहुत भूखी है मुझे उस को खाना खिलाना है प्लीज मुझे मदद करने दीजिए अगर मे आपकी मदद करता हूँ !
आप मुझे कुछ पैसे दे देंगे तो मै कुछ बहन को खिला दूंगा, ओ आदमी ओम की तरफ देखे जा रहा था, इतना सा छोटा सा बच्चा, बााते तो बडी बडी करता है, आदमी बोल उठा "बेटा बिना मदद के कुछ पैसे दे दूँ क्या" ओम बोल उठा,, "दादाजी मुझे भीक नही चाहिये, मेरी माँ कहती है किसी की भीक नही लेनी चाहिये, मेहनत करके कमाके खाना चाहिए, मै आपसे पैसे नही ले सकता आप मुझे मदद करणे दीजिए तो मै पैसेे लूंगा बहन को खाना खिला दूंगा" बुढा आदमी सोच रहा था!!
इतना से छोटासा बच्च इतनी अच्छी बाते करता है इसकी परवरिश तो बहुत अच्छे घर में हुई है ! ऊस बुढे आदमी ने उसका नाम पूछा "बेटा तुम्हारा नाम क्या है?" ओम ने जवाब दिया "मेरा नाम ओम है", "ओम बेटा क्या तुम मुझे तुम्हारे घर पेे चले जाओगे" ओम ने बोला "दादाजी मेरा घर तो पास है , आप चलोगे मेरे घर पे"
दादाजी बोल पड़े "हाँ बेटा मै चलूंगा आपके घर", ओम और दादाजी ओम के घर चले गये, दादाजी पेशाने डॉक्टर , दादा जी घर पे जाके पियू को चेक करने लगे,, ओम ने बीच मेे बोला दादाजी मेरी बहन को क्या हुआ है,, दादाजी बोलने लगे कुछ नही बुखार हुआ है मेरेेेे पास दवाई है , तू मुझको कुछ खिला के दवाई खिला दे ना ओमनी बोला ठीक आहे दादा जी,, दादाजी को याद आया इस बच्चेे के पास कुछ खिलाने के लिए कुछ है भी नही दादाा जी बोले ओम मेरे पास खाने का डब्बा है मुझे भूक नही है तुम और तुम्हारी बहन खा लो ओमनी बोला दादा जी आप खाओगे नही तो मै भी नही खाऊंगा बहन को भी नही खीलाऊंगा हम सब मिलकर खायेंगे दादाजी बोले ठीक है बेटा हम तिनो खाना खायेंगे, खाना खाने खाते वक्त, दरवाजे पे एक भिकारीी आया था घर के बाहर से चला रहा था कोई घर पेे है गरीब को खाना मिलेगा ऊस भिकारी की आवाज ओम ने सुनी डब्बे मे खाना था, ओम ने खाने की तीन भाग किये एक बहन को दिया दुसराा दादा जी को जो तिसरा घर के बहार जो भिकारी था जााके उसको दे दिया , हे सब दादाजी देख रहे थे, दादाजी ने ओम से पूछा तूने हे क्या किया तुम्ही भूक नही लगी क्या, ओमनेे बोला दादाजी मुझे भूक नही है मेरी बहना, आप खा लो, दादाजी ओम से बोलने लगी तुम्हारे पास खाने के लिए कुछ भी नही है तूने जो भी था उसको दे दिया ओम ने बोला दादाजी, मुझसे ज्यादाा उसको जरुरत थी खाने की, रात को माँ आ के खाना बनायेंगे, मै खाना खाऊंगा, दादाजी बोलेगे बेटा मुझे भूक नही है आप खा लो,
दादाजी ने ओम से पुछा," तुम स्कूल नही जाते हो, ओमनी जवाब दिया मुझे पडणा अच्छा लगता है मेरे पास पैसे 'किताब कुछ भी नही है, मै कैसे स्कूल चला जाऊं " दादाजी ने बोल दिया " सब मै ला के दूंगा, कल मे फिर से आता हु" ऐसा बोलकर दादाजी चले गये, कुछ दिनो बाद होली का दिन था, सबके घर मे होली की तयारी चालू थी, ओम ची घरची परिस्थिती नाजूक थी उसकी वजेसे उसकेेे घर कुछ भी तयारी नही थी, पहने के लिए कपडेेेे खाने के लिए के उसके घर में कुछ भी नही था ओम की मा बहुत परेशान थी, उस वक्त डॉक्टर दादाजी आ गये आते वक्त दोनो भाई बहन के लिए कपडेे खिलौने रंगपंचमी के लिए रंग उसके मा दादी के साड़ियां लेके आ गये, ओम पिहूं बहुत खुश थे, ओम केेे आईने बोला इतना सारा सामान क्यू लेके आ गये हो दादाची बोल पडे मेरे पोता पोती मेरे बेटे बेटीया मेरे पास कोई नही है व तो अलग अलग शहर मे रहते है आज से आप भी मेरा परिवार हो सब तयार हो जा आज मेरेेे घर मेरे घर पे चले जायेंगे सब थोडी देर मेे सब तयार हो गये , डॉक्टर दादाजीी के घर पे दादा जी के घर पे दादीजी थी, दोनो परिवार की रंगोली रंगीन हो गई, होली रंगपंचम आनंद से उल्लास से प्यार से एक साथ से बेरंग होली रंगीन हो गई!!!!!!!!
