बदनाम

बदनाम

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जम्मू यूनिवर्सिटी से बीएड करके जैसे ही श्वेता घर लौटी तो स्कूल जॉइन करने की सनक सी लग गयी थी उसे। फ्री थी तो डैडी ने भी परमिशन दे दी जॉब करने की। खुशी-खुशी आस-पास के स्कूलों में रिज्यूम लगा आयी श्वेता। भाग्य से दोनों ही स्कूलों से उसे बुलावा आ गया। पर चुनना तो एक ही था, तो उसने डी. ए. वी स्कूल पढ़ाने के लिए चुन लिया। राज़ी -खुशी श्वेता अब स्कूल पढ़ाने जाने लगी। अनुभव नया था, जो आज तक खुद स्कूल जा कर पढ़ती थीअब वो पढ़ाने लगी थी। हिंदी की शिक्षिका के तौर पर उसने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। मधुर और स्नेहील स्वभाव के कारण श्वेता जल्दी ही बच्चों के दिलो पर राज करने लगी। जिसे देख कर कई अध्यापिकाएँ ईर्ष्या करने लगी थी। बिंदिया इनमें प्रमुख थी जो कि श्वेता से भीतर ही भीतर जलने लगी थीऔर हर-दम श्वेता को नीचा दिखाने की कोशिश करने लगी थी। बच्चों को श्वेता का मृदुल होना भाने लगा था, आठवीं कक्षा के छात्र को श्वेता में बड़ी बहन नजर आती थीवो उसे दीदी -दीदी कह कर पुकारने लगा। श्वेता भी उसे अपना छोटा भाई मानने लगी थी। पर बिंदियाँ मैडम ने इसे कुछ और समझ लिया, वो उनके इस पाक रिश्ते को अपनी बुरी नजर से देख बदनाम करने लगी। श्वेता ने राहुल से बात करना बंद कर दिया, फिर भी जब वो अपने प्रति कानाफूसी को बंद ना कर पाई तो उसने भीगी पलकों के साथ स्कूल छोड़ दिया।

बिंदिया अपनी करनी पर खूब राज़ी थी, श्वेता के स्कूल छोड़ देने पर वो फूली नहीं समा रही थी। वक़्त बिता स्कूल में शिक्षिकाओं के बैग्स में से चोरियाँ होने लगी थी। चोरियाँ पहले से हो रही थी, परंतु अब बढ़ गयी थी। फिर एक दिन नीना मैडम का मोबाइल चोरी हुआ, सारे बच्चों के बैग चेक किये गए, स्टाफ के बारे में तो सोचा ही नहीं जा सकता था। आनन-फानन में मीटिंग बुलाई गई। सारा स्टाफ प्रिंसिपल के ऑफ़िस में इकट्ठा हुआ, प्रिंसीपल ने डिस्कशन कियापता चला चोरियाँ बहुत टाइम से हो रही थी। प्रिंसीपल ने नीना के खोये मोबाइल पर घंटी मारी तो वो बिंदिया के पर्स में बज उठा। बिंदिया मैडम अब सभी की नज़रों से गिर गयी थी, स्टाफ अब समझ चुका था कि श्वेता को भी बिंदिया ने झूठा ही बदनाम किया था। प्रिंसिपल ने बिना वक़्त गवाएं बिंदिया को स्कूल से निकाल दिया। आज श्वेता सभी की नज़रों में निर्दोष और बिंदिया अपराधी बन चुकी थी, ये ईश्वर का वो डंडा था। जो वक़्त आने पर बिंदिया के ऊपर पड़ा था। बिंदिया अपनी करनी भुगत चुकी थी, श्वेता का रिश्ता भी बेदाग हो गया था, वक़्त की मार ने अब दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया था।



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