Arun S Jain

Others

5.0  

Arun S Jain

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अनोखे गुरूजी

अनोखे गुरूजी

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दोस्तों में एक गुरू हमे भी मिल गया। हम चार दोस्त मिले और एक बोला कि "भाई मेरे सुसर मरणोप्रातं खुद की कोठी मेरी बीवी और सालियों के नाम कर गए जिसे बेचते बेचते नाक में दम आ गया। खैर रोते पीटते बिक ही गइ और सबके हिस्से तीस लाख रुपए आए।" दूसरे दोस्त ने कहा "भाई यह तो खुशी की बात है और इस खुशी का तो जश्न होना चाहिए।" तो पहला फिर बोला कि "खाक जश्न, शादी के 25 साल बाद क्या काम आएगा यह पैसा। शादी के वक्त देते तो जवानी और बढ़िया निकलती।" पहला यह सुनकर मानो कुछ सकपका गया और उसने अपनी आपबीती कुछ इस तरह बताई। वह बोला कि "जैसे ही वह UPSC पास हुआ तो सुन्दर लड़कियाँ और दहेज की भीड़ लग गई। खैर उनके पिताजी को एक घर पसंद आया और वहाँ बात पक्की कर दी। लड़की वालो ने पूछा कि या तो गाड़ी की ब्रान्ड बता दो या फिर पैसे ले लो। मैं ब्रान्ड बताता उससे पहले पिताजी ने पैसे की कह दी। खैर मैने यह सोचा कि चलो पिताजी बाद में गाड़ी दिलवा देंगे पर जय हो UPSC की लड़की तो सुंदर मिल गई। और शादी के बाद फटाफट हनीमून पर चला गया। हनीमून से लौटकर दोनो खुश गाँव आए ते देखा कि पिताजी नए tractor से खेत जोत रहे थे ठर्र्....ठर्र्....ठर्र्। माँ हमे देख सहर्ष बोली की देख कि पिताजी ने tractor के साथ बगल वाली ज़मीन भी ले ली और खुद खेती कर रहे हैं और बड़े खुश है। भाई 22 साल हो गए शादी को। मुश्किल से मारुती डिजायर मेरी अपनी है और कुछ नहीं। तबादलों के चक्कर में मकान भी नहीं बनवा पाया। अपनी जिंदगी तो पिताजी के नए ट्रेक्टर की तरह ठर्र् ठर्र् निकल गई। तुझे पैसे बहुत सही समय मिले हैं और इसका इस्तेमाल भी सही होगा।"

पहले दोस्त की मानो आँख खुल गइ।

यह सुनकर तो मैं भी अचम्भित रह गया। जिंदगी भी कुछ ना कुछ सिखाने मे लगी रहती है। ज्ञान कहीं से भी आ सकता है।



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