आखरी मुलकात
आखरी मुलकात
कुछ बातें अविश्वसनीय होती है , पर जिनके साथ ये घटती है वही इसे महसूस करते हैं।
बात उन दिनों की है जब में दार्जीलिंग में छुट्टी माना रहा था ।ठंडियों का समय था और मैं पहाड़ों में घूम रहा था , मुझे आज भी वो दिन और समय याद है । सुबह के ५ बजे थे और मैं अपने कैंप से थोड़ी दूर घूम रहा था अचानक मेरा बचपन का दोस्त जो मेरा हॉस्टल का मित्र था और मेरे ही कमरे में रहता था मुझे अचानक से मिल गया, हम ३ लोग एक ही कमरे में थे।
मैंने उस दोस्त को पूछा कि इतने सालों बाद मिला वो, भी दार्जलिंग में ? उसने बताया कि वो भी वहीं छुट्टियां मना रहा था। तक़रीबन १ घंटे की बातचीत के बाद हम दोनों ने शाम को मिलना तय किया। मैं अपने कैंप की तरफ लौट ही रहा था कि मेरे दूसरे रूममेट का कॉल आया और उसने मुझ से कहा कि उसे मेरी याद आ रही थी। मैंने पूछा अचानक से मेरी याद कैसे आ गयी ? उसने बताया "सलीम मिला था" मैंने उससे कहा "बेवकूफ मत बना वो तो मेरे साथ दार्जलिंग में है अभी मुझे मिला था" , हम दोनों में काफी बहस हो गयी और उसी समय हमारे एक और मित्र का कॉल वेट पर था जब मेने उस कॉल को उठाया तो खबर आयी की सलीम दुनिया से रुख्सत हो गया और इस बात ने मेरे होश उडा दिए , मैंने बिना कुछ सोचे समझे कॉल को कॉन्फ्रेंस किया और ये खबर राजीव को दी , हम दोनों परेशान थे, मैंने तुरंत ही दिल्ली की टिकट बुक की और सीधा दिल्ली चला आया और राजीव और मैं सलीम के घर गए । पता चला हमें मिलने के ४ घंटे पहले ही सड़क दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो चुकी थी। पता नहीं क्यों , कैसे ये सब हुआ पर वो आखरी मुलाकात बड़ी ही रहस्य्मयी थी ।