75 वर्षों का सफर
75 वर्षों का सफर
आज मैं 75 वर्ष का होने को आया
उम्र के तीसरे पड़ाव पर मैं आया
चलिए ! चलते हैं मेरे सफर पर
चलते! हैं बूढ़े भारत की जवानी पर।
15 अगस्त, सन 1947 का जन्म है मेरा
आज़ाद भारत नाम है मेरा
आज़ाद नाम यूं ही पड़ा नहीं मेरा
सेनानियों के खून से दामन भरा मेरा।
अभी 2 वर्ष का हुआ था मैं
खुद के टुकड़ों में बांटा था मैं
हिंदू, मुस्लिम सब थे मेरे
कश्मीर आज तलक ही है मेरे।
अभी 3 वर्ष उम्र थी मेरी
बना मैं एक गणतंत्र देश
26 जनवरी को बनाया
गणतंत्र दिवस का भेस।
5 वर्ष की उम्र में पहला चुनाव कराया
1952 में मैंने 60% सहयोग पाया
कांग्रेस के संग मैंने राज्यों का गठन कराया
राजनीति के उतार चढ़ाव संग कुछ वर्षों को बिताया।
25 की उम्र में मैंने
अपने उत्तर, दक्षिण ,पूर्व, पश्चिम
सब भागों से तुम्हें मिलाया
कई राज्यों का एक देश मैं कहलाया।
27 वर्ष की उम्र में
1974 को परमाणु परीक्षण कर डाला
पड़ोसी देशों के संग संग
दुनिया भर के देशों को असमंजस में डाला।
30 से 40 की उम्र में
ख़ुद को उतरते चढ़ते मैंने पाया
40 से उपर होने पर
आर्थिक स्थिति को मैंने सुधारा।
50 का उपर होने पर
आबादी को बढ़ते मैने पाया
ख़ुद को जैसे तैसे सम्हाल मैं
अव्वल रहने की कोशिश करता।
60 पार का हो जाने पर
अपने कई खुबसूरत शहरों को खोया
उनके दुख को कम करते करते
नए राज्यों का परिवेश बनाया।
70 का होते होते
बुलंदियों को मैंने छुआ
दुनिया की वाह वाही लूटी
तिरंगे का हर ओर नाम हुआ।
कुछ ऐसा मेरा सफर आज तलक
कुछ ऐसा सबका असर हुआ
73 की उम्र में भी
बीमारी को मैंने मात दिया।
आओ मनाए अब मेरा 75 वा जन्मदिन
ख़ुशी ख़ुशी सब मिलकर
नहीं पड़ता फर्क उम्र से
सदैव रहना सब मिलकर।
