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Kamlesh Gheewala

Others

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Kamlesh Gheewala

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19 ऊँट की कहानी

19 ऊँट की कहानी

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एक गाँव में एक व्यक्ति के पास 19 ऊँट थे। एक दिन उस व्यक्ति की मृत्यु हो गयी। 

मृत्यु के पश्चात वसीयत पढ़ी गयी। जिसमें लिखा था कि:

मेरे 19 ऊँटों में से आधे मेरे बेटे को, 19 ऊँटों में से एक चौथाई मेरी बेटी को, और 19 ऊँटों में से पांचवाँ हिस्सा मेरे नौकर को दे दिए जाएँ।

सब लोग चक्कर में पड़ गए कि ये बँटवारा कैसे हो ?

19 ऊँटों का आधा अर्थात एक ऊँट काटना पड़ेगा, फिर तो ऊँट ही मर जायेगा। चलो एक को काट दिया तो बचे 18 उनका एक चौथाई साढ़े चार- साढ़े चार फिर?

सब बड़ी उलझन में थे। फिर पड़ोस के गाँव से एक बुद्धिमान व्यक्ति को बुलाया गया।

वह बुद्धिमान व्यक्ति अपने ऊँट पर चढ़ कर आया, समस्या सुनी, थोड़ा दिमाग लगाया, फिर बोला इन 19 ऊँटों में मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो।

सबने सोचा कि एक तो मरने वाला पागल था, जो ऐसी वसीयत कर के चला गया, और अब ये दूसरा पागल आ गया जो बोलता है कि उनमें मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो। फिर भी सब ने सोचा बात मान लेने में क्या हर्ज है।


19+1=20 हुए।

20 का आधा 10, बेटे को दे दिए।

20 का चौथाई 5, बेटी को दे दिए।

20 का पांचवाँ हिस्सा 4, नौकर को दे दिए।

10+5+4=19 

बच गया एक ऊँट, जो बुद्धिमान व्यक्ति का था...

वो उसे लेकर अपने गॉंव लौट गया।

इस तरह 1 ऊँट मिलाने से, बाकी 19 ऊँटों का बँटवारा सुख, शांति, संतोष व आनंद से हो गया।

सो हम सब के जीवन में भी 19 ऊँट होते हैं।


5 ज्ञानेंद्रियाँ

(आँख, नाक, जीभ, कान, त्वचा)

5 कर्मेन्द्रियाँ

(हाथ, पैर, जीभ, मूत्र द्वार, मलद्वार)

5 प्राण

(प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान)

और

4 अंतःकरण

(मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार)

कुल 19 ऊँट होते हैं। 


सारा जीवन मनुष्य इन्हीं 19 ऊँटों के बँटवारे में उलझा रहता है।

और जब तक उसमें आत्मा रूपी ऊँट नहीं मिलाया जाता यानी के आध्यात्मिक जीवन नहीं जिया जाता, तब तक सुख, शांति, संतोष व आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती।

यह है 19 ऊँट की कहानी..


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