हरि शंकर गोयल

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हरि शंकर गोयल

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10वीं बोर्ड

10वीं बोर्ड

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आज स्टॉफ रूम में बड़ी चहल पहल थी । सब शिक्षकों के मुख पर जिज्ञासा के भाव थे कि आखिर आज शिक्षक संघ के अध्यक्ष जी ने अर्जेंट मीटिंग क्यों बुलाई है ? क्या प्रधानाचार्य ने किसी शिक्षक से कोई पंगा ले लिया है या किसी प्रभावशाली अभिभावक ने कोई हंगामा मचा दिया है । अफवाहों का बाजार गर्म था और सही बात किसी को पता थी नहीं । इसलिए सब लोग "धूल में लठ्ठ" भांज रहे थे । 

एक शिक्षक बोला "शर्मा जी, क्या होने वाला है आज की मीटिंग में" ? 

"देख भाई, मैं तो एक बात जानता हूं कि मेरा कन्सर्न तो मंहगाई भत्ते को लेकर है । वो सरकार ने थोड़े दिन पहले ही बढ़ा दिया था । बाकी मुद्दों से मुझे कोई लेना देना नहीं है" । और शर्मा जी अखबार लेकर उसमें डूब गए ।  

पहले वाले शिक्षक को संतुष्टि नहीं मिली थी । और मिलती भी कैसे ? अरे भाई, जब तक कोई व्यक्ति हमारे विचारों से सहमति नहीं जताता, तब तक संतुष्टि कैसे मिल सकती है ?

उसने दूसरे को पकड़ा "आपको पता है क्या कि आज की मीटिंग में क्या होने वाला है" ? 

"होगा क्या, ये नेता लोग खुद ही तय कर लेते हैं कि करना क्या है , बस मीटिंग में तो उस पर मुहर लगवाते हैं" । 

जो बात वह चाहते थे, वह अभी तक आई नहीं थी इसलिए उन्होंने आगे कहा "मैंने तो सुना है कि मीटिंग बोर्ड की परीक्षाओं को लेकर है" । 

"अच्छा ! मुझे तो किसी ने बताया ही नहीं । थोड़ा बूढ़ा हो गया हूं तो कोई घास ही नहीं डालता है आजकल । पर बोर्ड की परीक्षाएं तो हो रही हैं ना , फिर क्या ये चाहते हैं कि ये भी ब॔द हो जाएं " ? 

"सुना है कि केंद्र सरकार ने 10 वीं का बोर्ड खत्म कर दिया है  शायद इसी संबंध में ही यह मीटिंग बुलाई गई हो" ? 

"सरकार ने ठीक नहीं किया । कक्षा 8 तक तो सब बच्चों को पास करना ही पड़ता है । शिक्षक के पास कोई विकल्प ही नहीं है । 10 बोर्ड पास कराने के लिये शिक्षक को बहुत मेहनत करनी पड़ती थी । मगर इससे बच्चे कुछ तो पढ़ लेते थे । अब अगर 10 वीं बोर्ड खत्म कर दिया तो फिर बच्चे क्यों पढ़ेंगे" ? 

उधर, महिला शिक्षक भी मीटिंग की तैयारियां कर रही थीं । मोबाइल में अपना चेहरा देखकर लिपस्टिक ठीक कर रही थीं, बालों को खोलकर कंधे पर बिखरा रहीं थीं । मिसेज वर्मा मिस अनुपमा से बोलीं 

"लगता है ये चूड़ियां कल ही खरीदी हैं तुमने ? बड़ी प्यारी हैं । हरा रंग तुम्हें कितना स्यूट करता है न" ? 

मिस अनुपमा की मुस्कान और चौड़ी हो गई । कहने लगी " हरा रंग मेरी पसंद नहीं है दी" । 

अब चौंकने की बारी मिसेज वर्मा की थी "फिर किसकी पसंद है ये हरा रंग ? तुम्हारे मंगेतर की" ? 

"ओह दी, अभी मेरी मंगनी कहां हुई है ? ये तो साहिल की पसंद है" । 

"साहिल ? पर तुम्हारे ब्वाय फ्रेंड का नाम तो रवि है" ? 

"है नहीं था, दी । परसों तक था । कल ही साहिल से मुलाकात हुई थी । उसी ने ये चूड़ियां गिफ्ट की हैं । चूड़ियों के मैचिंग का सूट भी दिलवाया था उसने । इतना खरचा किया था उसने तो मेरी भी तो कुछ जिम्मेदारी बनती थी ना । मैंने भी उसे एक "किस" गिफ्ट कर दिया । इतने में ही खुश हो गया बुद्धू" । अनुपमा हंसते हुए बोली ।

"लड़के तो पैदायशी बुद्धू होते हैं । मैं तो उन दिनों में एक साथ चार चार लड़के पटाकर रखती थी । मेरा सारा खर्चा वे ही उठाते थे । तू भी चार पांच तो रखना कम से कम" ।

"बिल्कुल दी, आपसे पीछे नहीं हूं मैं । अभी तक आठ तो हो गए हैं , देखते हैं कि ये संख्या कहां तक जाती है" ?

इतने में मीटिंग का टाइम हो गया । सब लोग एक हॉल में आ गए और अपनी अपनी सीटों पर बैठ गए ।

अध्यक्ष जी खड़े होकर कहने लगे "भाइयो, जैसा कि आपको पता है कि केंद्र सरकार ने अपनी दमनकारी नीति के तहत 10 वीं बोर्ड को खत्म कर दिया है । हमारे माननीय मुख्यमंत्री महोदय का कथन है कि चूंकि हमारी पार्टी केंद्र की विरोधी पार्टी है इसलिए केंद्र ने जानबूझकर ऐसा निर्णय लिया है । उन्होंने सभी शिक्षक संघों से आह्वान किया है कि हम सब शिक्षक संघ इस निर्णय का विरोध करें । इसलिए आज यह मीटिंग बुलाई है । तो सर्व सम्मत तरीके से यह प्रस्ताव पास समझा जाये" ? 

एक शिक्षक "वक्ता मल" जी कहने लगे " हमें केंद्र और राज्य सरकार के लफड़े में नहीं पड़ना चाहिए । यह निर्णय तो बहुत क्रांतिकारी है । जब 10 वीं बोर्ड ही नहीं होगा तो सब बच्चों को पास करना ही होगा । और जब ऐंवयीं पास करना ही है तो फिर पढ़ाने की भी क्या जरूरत ? तनख्वाह लो और मौज करो" । 

सारे शिक्षक एक साथ बोल पड़े "बिल्कुल सही, बिल्कुल सही । केंद्र सरकार का निर्णय बहुत बढिया है । इसलिए केंद्र सरकार बधाई की पात्र है । एक पत्र हमारे संगठन की ओर से माननीय प्रधानमंत्री जी को लिखा जाना चाहिए " ।

अध्यक्ष जी स्तब्ध रह गए । पासा उल्टा पड़ गया था । पर वे हार मानने वाले नहीं थे । बोले "शिक्षा मंत्री जी के पास एक तबादला सूची तैयार हो रही है । कोई यहां से कहीं और जाना चाहता है क्या " ? 

मीटिंग में सन्नाटा छा गया । सब लोग नीची गर्दन करके बैठे रहे । तब एक सयाने से शिक्षक ने कहा "मैं राज्य सरकार के साथ हूं" ।

फिर तो झड़ी लग गई । एक एक करके सबने समर्थन कर दिया । और वह प्रस्ताव पास हो गया । 



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