अमर ही है जिन्होंने दहशत के कारण अपना भेस बदल लिया था
शिवांश तुमने अपना देह तो छोड़ दिया मगर मेरे दिल में अब भी तुम्हारी धड़कनें चल रही हैं, और शायद हमेशा चलती रहेंगी।
'बेटा-बेटी एक समान दोनों को दुनिया में ला बनो महान'
स्त्री जीवन का सच... लघु कथा में
कभी मैं भी अपना पंजाब,अपना गाँव छोड़ कर परदेश गया था।
"तुम्हे मुझसे प्यार है भी या नहीं?"