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चल तू मुसाफिर रुकना तेरी तकदीर नहीं है, मंजिल तेरी राहों को ...
जो लोग औरतों की हदें तय करते हैं उनसे सिर्फ इतना कहना है अपन ...
औरत का ज़ुल्मो का सह जाना उसकी कमजोरी नहीं ताकत है। अगर वह न ...
वो आखिरी लम्हा वो आखरी लफ्ज़ तुम्हारा याद है, जब हम बिछड़े थ ...
कर्म(तदबीर) अपने हाथों लिखेंगे तदबीर अपनी, अपने हाथों से बना ...
आफताब सी आभा लिए वो उलझी रहती है चौके चूल्हे में भूल जाती ...
जमीं पर है पांव हमारे सोच आसमान की रखते हैं चाहे वक्त ले कित ...
जब एक जान से दूसरी ' जान ' बनती है तब दुनिया उसे " मां " कह ...
आंचल में प्यार लेकर, अपने आँसुओं को पी जाती है। खुद के सपनों ...
हम ये सोच कर खामाखां परेशान थे कि हम किसी को खास पंसद नहीं ह ...
वो रचना है ईश्वर की , और खुद भी रचनाकार है। देख के ममता की म ...
कह दो ज़माने से अब औरत ने भी हथियार उठा लिया, अब नहीं सहेगी ...
"औरत समुन्दर की तरह होती है,जिस तरह समुन्दर को आकंना मुमकिन ...
लोग कहते हैं कि औरत का अपना कोई घर नहीं होता है ...मै कहती ह ...
त्योहार के बहाने , वह औरतें भी अपना सिंगार कर लेती हैं। जिन ...
हज़ार कसमें खाई थी न मिलने की तुझसे!! देख कर तुझे, पर द ...
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