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मोहब्बत गर...

मोहब्बत गर मुकम्मल हुआ होता, वासना की चाह पूरी होगी, भक्ति की राह अधूरी होगी। महिला क़े मान-मर्यादा की अधिकार न पूरी होगी, फिर भारत देवता-देवी की पुण्यभूमि न होगी। अंततः भारत पुनः विश्वगुरु के पथ पर अग्रसर न हुआ होता।

By Amarjeet Kumar
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