“
खामोश रहोगे तो इश्के इज़हार कैसे होगा।
आगाज़ -ऐ इश्क बयाँ ना होगा।
तो वो मुमताज़ तू शाहज़हाँ कैसे होगा।
फिर ये मुहब्बत की दुनिया गुलज़ार ना होगा।
प्रेम की दुनिया का कोई बादशाह व बेगम ना होगा।
फिर ये दिल वीरान होगा।
तो मुहब्बत की कहानी राधा-कृष्ण का कोई दास्ताँ ना होगा ।
इश्के इजहार दिल में प्यार कैसे होगा।
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