खामोश रहोगे तो इश्के इज़हार कैसे होगा। आगाज़ -ऐ इश्क बयाँ ना होगा। तो वो मुमताज़ तू शाहज़हाँ कैसे होगा। फिर ये मुहब्बत की दुनिया गुलज़ार ना होगा। प्रेम की दुनिया का कोई बादशाह व बेगम ना होगा। फिर ये दिल वीरान होगा। तो मुहब्बत की कहानी राधा-कृष्ण का कोई दास्ताँ ना होगा । इश्के इजहार दिल में प्यार कैसे होगा।
मोहब्बत गर मुकम्मल हुआ होता, वासना की चाह पूरी होगी, भक्ति की राह अधूरी होगी। महिला क़े मान-मर्यादा की अधिकार न पूरी होगी, फिर भारत देवता-देवी की पुण्यभूमि न होगी। अंततः भारत पुनः विश्वगुरु के पथ पर अग्रसर न हुआ होता।
ऐ मेरे हिन्द स्वराज के जवान करता है इस देश पर न्योछावर तू अपने प्राण रक्षक है तू अपने मातृभूमि का नमन है तुम्हारे माता-पिता के अद्भुत व अदम्य साहस का तू देश की आन-बान-शान है मोहब्बत है तुझे मातृभूमि से तेरे भीष्म पितामह सी प्रतिज्ञा को है नमन अग्नि बहती हुई रगों के रवानी को नमन तू अभिमान है ,बलवान है तिरंगे की शान है सुरक्षित भारत की तेरे हाथों मे कमान है ।
गुरु एक नई दिशा, आशा है शिष्य को उचित ज्ञान देते हुए एक संस्कार, सोच व सीख के सृजन की परिभाषा है माता-पिता व ईश्वर से भी महान है,सीख व सोच सही देते है एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ इन्सान है दीपक की भांति प्रकाशित करते,मतभेद व द्वेष को मिटाते जीवन के हर क्षेत्र मे मार्गदर्शन करते, एक मार्गदर्शक व पथ-प्रदर्शक है सही-गलत का बोध कराते एक स्वाभिमानी व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति की पहचान व अभिलाषा है