“
मालिक से मिली हर नियामत की हम कदर करें.....!
विश्वास रखें, जितनी कदर बढ़ेगी, उतनी रहमत बढ़ेगी.......!
हर पल हर स्वाँस शुक्र करें....!
हे रबा....! जो तूने दिया, उसका बहुत बहुत शुक्रिया, और जो नहीं दिया उसका भी बहुत शुक्रिया, मैं जानता हूँ जो नहीं दिया वो मेरे हित में था ही नहीं .....!
मेरे मालिक़ मुझे कदर करने कि सद्बुद्धि देना ताकि कभी कोई शिकायत ना करूँ....!
करूँ तो हर पल तेरा शुकर करूँ, बस शुकर करूँ.......!
”