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किसी को...

किसी को दर्द देकर तुम नहीं फिर मुस्कुरा सकते। लिखे तो भाव मन में हैं, नहीं तुम अब छुपा सकते। हमेशा जान लो सब में,बसा किरदार है रब का... खुदी की आँख से गिरकर, नहीं खुद को उठा सकते। - डॉ प्रतिभा गर्ग

By Pratibha Garg
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