“
किसी की भी निंदा करने से बचें.....!
किसी की कमियों, ग़लतियों और गुनाहों को देखने से पहले खुद को ज़रूर निहारें.....!
याद रखना, जिस तराज़ू में किसी और को तोलोगे उसी में ही खुद तोले जाओगे...!
किसी की कमियों और गुनाहों से सीखें और अपने आप को चेताएँ कि कहीं आप से भी वो ना दोहराई जाएँ.....!
किसी और को नहीं परंतु अपने आपको हर पल जाँचें एवम् मालिक से बिनती करें कि हे मालिक.....! मुझे निंदक बनने से बचाना तथा हर पल अपने चरणों का ध्यान देना....!
”