“
घर तो घर होता है परिवार की
खुशियाँ जहाँ है रहती।
टूटा हो,फूटा हो ,या हो कच्चा
अपनी छत होने का गुमान कराती।।
सुख दुख में रहता, परिवार का साथ
और करते दूजे को देने का प्रयास।
संघर्ष, पीड़ा ,अपनापन बांटते सभी
आपस में एक होने का रहता एहसास। ।
ये घर है,
”