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धरती धूमिल...
धरती धूमिल...
धरती धूमिल...
“
धरती धूमिल आज,नहीं है तरुवर छाया।
करदी आज उजाड़,यही मानव की माया।
कहना सबका मान,रखो हरियाली धरती।
रहती शीतल छाँव,सभी के संकट हरती।
अनुराधा चौहान
”
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