स्नेह आदर समेट कर तुम्हारा आँचल में नज़रों से तुम्हारी फिर ओझल हो जाती हूँ। स्नेह आदर समेट कर तुम्हारा आँचल में नज़रों से तुम्हारी फिर ओझल हो जाती हूँ।