हर कोमल भावना पर स्त्रीलिंग था छाया, तुम्हें आता कहाँ था कुछ बचाना, संभालना-सँवारना हर कोमल भावना पर स्त्रीलिंग था छाया, तुम्हें आता कहाँ था कुछ बचाना, सं...