गगन छू सके जो ऐसी दृढ़ता मैंने पायी, मित्रों के स्वरूप में माँ हो जैसे आयी। गगन छू सके जो ऐसी दृढ़ता मैंने पायी, मित्रों के स्वरूप में माँ हो जैसे आयी।