आता भी तो कैसे हुनर हमें उभर पाने का हमें तो कोई भी सैलाब-ए-ग़म यकसाँ नहीं मिला आता भी तो कैसे हुनर हमें उभर पाने का हमें तो कोई भी सैलाब-ए-ग़म यकसाँ नहीं मिला