देखा है वो वक़्त ज्ञानी, रुक जाती है जुबानी। सिल जाते होंठ जहाँ, स्वयं नाप-तोल में।। देखा है वो वक़्त ज्ञानी, रुक जाती है जुबानी। सिल जाते होंठ जहाँ, स्वयं नाप-तोल...