देख टिड्डियाँ आ गयीं, परदेश से स्वदेश। एक प्रकोप अभी न हटा,क्या होगा सर्वेश। देख टिड्डियाँ आ गयीं, परदेश से स्वदेश। एक प्रकोप अभी न हटा,क्या होगा सर्वेश।