आँखों की करुणा कमज़ोरी तलवार निकलने के बाद, चलने नहीं देती..... आँखों की करुणा कमज़ोरी तलवार निकलने के बाद, चलने नहीं देती.....
बने चाहे बिगड़े, मैं हर आकृति हूँ, मुझसे मत टकराना, मैं प्रकृति हूँ बने चाहे बिगड़े, मैं हर आकृति हूँ, मुझसे मत टकराना, मैं प्रकृति हूँ