मगर मैं वही गढ्ढा, वही सीढ़ी और वही नदी होता जाता हूँ, जो नहीं होना चाहता हूँ। मगर मैं वही गढ्ढा, वही सीढ़ी और वही नदी होता जाता हूँ, जो नहीं होना चाहता हूँ।