शायर शायर
कौन हैं वो जो आसमान में उड़ते हैं, कभी इधर, कभी उधर, यह कभी ना रुकते हैं कौन हैं वो जो आसमान में उड़ते हैं, कभी इधर, कभी उधर, यह कभी ना रुकते हैं
शहीद कहलाते हैं, खून की होली हर रोज और गोलियों से खेल जाते हैं, यूँ ही नही हम फौजी क शहीद कहलाते हैं, खून की होली हर रोज और गोलियों से खेल जाते हैं, यूँ ही नही...