ये बातें इस शहर आम हो गयी!
ये बातें इस शहर आम हो गयी!
उन्होंने उंगली उठाई, एक हुंकार लगाई, और कड़क आवाज़ में झूठ कहा...
मैं दंग रह गया!!!
गुस्से से भरी एक भीड़,
अचानक ख़ुश-फ़हम आवाम हो गई है ..
झूठ बोलो, डराओ - धमकाओ सरकार,
ये बातें अब आम हो गई है ..
राशिद हो या अख़लाक़, बिहार हो या असम,
भीड़ छटने पर पड़ी लाश, सरेआम हो गई है ..
वानरों की कहीं सेना, धर्म रक्षकों की कहीं टोली
भई इनके सिर की नसें बेलगाम हो गई है ..
तड़के निकला था दो पैसे कमाने, खूब मेहनत की
बड़ी जल्दी कम्बख्त शाम हो गई है ..
आओ कुछ महीने घर के अंदर ही बिताते हैं,
वो क्या है, तुमसे महंगी गाय की जान हो गई है ..
हैं? तुम सवाल करोगे? आवाज़ उठाओगे?
अबे साले, बड़ी लंबी तुम्हारी ज़बान हो गई है ..
तुम किसे पूजो, क्या खाओ, कितना कमाओ,
सब बताते हैं ये,
कलयुग में एक सरकार अब भगवान हो गई है..
देखो अब बिक कर छपा करते हैं अख़बार,
सच्चाई भी इस मुल्क में नीलाम हो गई है..
एक रंग का जुनूँ, एक धर्म का भूत, एक नाम के भक्त,
बोतल में नहीं आती, मगर ये भी अब ज़ाम हो गई है..
नेहरू की टोपी उछालो, गांधी पर मिट्टी डालो,
गड़े-मुर्दों से झगड़ों, मुद्दों से भटका रखो,
ये राजनीति अब देश में आम हो गई है..
झूठ बोलो, डराओ - धमकाओ सरकार,
ये बातें अब आम हो गई है ..
