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Aryan Srivastav

Children Stories Inspirational

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Aryan Srivastav

Children Stories Inspirational

यदि मै शरारत करू

यदि मै शरारत करू

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यदि मैं शरारत करूं

फूल बनकर चंपा के पेड़ पर जा खिलूँ।

किसी भोर बेला में डाली पर हिलने डुलने लगूं,

तब तो माँ, तुम मुझसे हार जाओगी।

माँ, तब क्या तुम मुझे पहचान सकोगी?

तुम पुकारोगी, मुन्ना कहाँ गया रे।

और मैं चुपचाप केवल हंसूँगा।


जब तुम किसी काम में लगी रहोगी,

तब मैं आँखे खोले हुए सब कुछ देखूँगा।

स्नान करके तुम चंपा के नीचे से निकलोगी,

पीठ पर केश फैलाए हुए, वहाँ से पूजा घर में जाओगी।

तब तुम्हें दूर से फूल की सुगंध आएगी,

लेकिन तुम यह समझ नहीं पाओगी,

कि यह सुगंध तुम्हारे मुन्ना के शरीर से आ रही है


सबको खिला-पिलाकर दोपहर में,

तुम महाभारत लेकर बैठोगी,

कमरे की खिड़की से पेड़ की छाया,

तुम्हारी पीठ और गोद में पड़ेगी।

मैं तुम्हारी पुस्तक पर आ झुलाऊँगा अपनी नन्ही-सी छाया।


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