वसंत की विदाई
वसंत की विदाई
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धरती पर आया राजा वसन्त
सुंदर सुंदर सपना देने धरती पर,
मन भी मस्ती से भरा
सूरज भी आया ओढ़नी बदलकर ।
किरणें श्री उमंगे देतीं
झूम झूम करती कलियां वसंत की हवा में।
वसंत का स्वागत किया चिड़ियों ने संगीत की ध्वनि से,
तितली आकर कहती फूलों से प्रेम कहानी,
रंगों से राजा का किया वे भी स्वागत,
महफ़िल सजाकर सबके दिल का राजा बना।
जिंदगी के कुछ सुंदर सपने थे वसंत में
न पूरा हुआ जीवन की सबसे सुंदर सपना,
बुने सपनों को मन के किनारे पर छोड़ा आज,
विदा कहकर चले गए कहीं किसी को मिलने।
जीवन की विरह वेदना और वसंत की भी विरह वेदना।
दिल को समझाया आना और जाना ही मिलन है।
