उड़ान भरते कलमकार
उड़ान भरते कलमकार


ती स्याही पन्नों पर,
ख्याल मारता जब हिलोरे।
दर्द उकेर देती है कलम,
लेखक का मन जब झकझोरे।
अपनी लेखनी से सबके ,
मन को हरते कलमकार।
लेखनी के खूबसूरत आसमां में,
देखो उड़ान भरते कलमकार।
सागर में विचारों के ,
गोते हैं ये जब लगाते।
तब अपनी भावनाओं को,
रचना का रूप दे पाते।
यूँ ही नहीं हर किसी के,
दिल में बसते कलमकार।
लेखनी के खूबसूरत आसमां में,
देखो उड़ान भरते कलमकार।
कभी प्रेम,कभी वियोग,
कभी त्याग भी लिखते हैं।
कलमकारों की रचना पढ़कर,
सूखे गुल भी खिलते हैं।
न जाने बस लेखनी से कैसे,
दर्द हर लेते कलमकार।
लेखनी के खूबसूरत आसमां में,
देखो उड़ान भरते कलमकार।
युद्धभूमि के विषय में भी,
इतनी गहराई से लिख देते हैं।
समक्ष हमारे युद्ध हो रहा हो,
ऐसा हम समझ लेते हैं।
कई विधाओं में कई विषयों पर,
कैसे लिख लेते कलमकार।
लेखनी के खूबसूरत आसमां में,
देखो उड़ान भरते कलमकार।