STORYMIRROR

Harshada Jadhav

Others

2  

Harshada Jadhav

Others

तू ख़ुद

तू ख़ुद

1 min
304

ज़माने की बेड़ियों से तू बाहर निकल

ख़ुद से तू मिल लिया कर


लोगों को सोचने दे वे जो सोच सकें

ख़ुद की सोच तू ख़ुद बना लिया कर


रुलाने वाले तो बहुत मिलेंगे यहाँ

तू मुस्कुरा के देख लिया कर


Rate this content
Log in

More hindi poem from Harshada Jadhav