तू ख़ुद
तू ख़ुद
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ज़माने की बेड़ियों से तू बाहर निकल
ख़ुद से तू मिल लिया कर
लोगों को सोचने दे वे जो सोच सकें
ख़ुद की सोच तू ख़ुद बना लिया कर
रुलाने वाले तो बहुत मिलेंगे यहाँ
तू मुस्कुरा के देख लिया कर