तन्हाई
तन्हाई
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तन्हाई में रोने की आदत मुझे भी है
ज़िन्दगी से कुछ शिकायत मुझे भी है
क्योंकि जनाब इस कदर तोड़ा हमें इस ज़माने ने
हमारा दिल भी रखा रहा तहखाने में
इस ज़माने में अजनबी तो अजनबी है
अजनबियों से हमें गिला क्या
पर अपने तो अपने है लेकिन,
अपनों से हमें मिला क्या?!