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Navan Kaur

Others

4.8  

Navan Kaur

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सुनहरे पल स्कूल के

सुनहरे पल स्कूल के

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आज महीनों बाद कुछ लिखने का मन हुआ,

पता ना था कुछ,

बस अपने मन को कलम से उतरने का मन हुआ।

पिछली रोज़ बहुत कुछ हो गया,

हमारा स्कूल तो जैसे कहीं खो गया।।


क्या दिन थे वो भी, बस इजहार ना होंगे अभी।।


पहला दिन स्कूल का कुछ धुंधला सा था।

बस इतना याद है कि रोया जरूर था।।

ऐसा लग रहा था कि किसी मेले में आए है माँ - पापा के साथ,

कि भीड़ से अचानक ही छूट गया है साथ।।


दिन बीते, समझ आया, कि स्कूल का नाता तो सबको है भाया।।


आखिरी दिन तो अच्छे से याद है मुझे,

रोया तो उस दिन भी था,

वो रोना स्कूल से बिछड़ने का तो था ही,

लेकिन दोस्तों से दूर जाने का दर्द कुछ ज्यादा था।।


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