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Akshay Anilkumar

Others

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Akshay Anilkumar

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सपने

सपने

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आधे से कुछ सपने हैं, अधूरी सी कुछ ख्वाहिशें,

अधूरे हैं हम, अधूरी हैं शायद कुछ आजमाइशें।


सफ़र अधूरा सा, रास्ते भी अब अधूरे से लगते हैं,

इस अधूरेपन के साए में अब हम ख़ुद से ही डरते हैं।


इंतजार अधूरा, अधूरा सा जैसे अब हर एक ख्वाब है,

सवाल भी मेरे अधूरे और अधूरे से ही हर जवाब हैं।


ज़िन्दगी ने तन्हा किया है ऐसा, रिश्ते भी सारे अधूरे रह गए,

जज़्बात भी अधूरे थे शायद, वो भी हम ख़ामोशी से सह गए।


ख़ामोश पड़ी महफ़िल में अधूरी सी इक नज़्म बनकर रह गए,

क्या कहें कि आख़िर क्यों हम अधूरे थे और अधूरे ही रह गए।


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