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Kumud Yadav

Others

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Kumud Yadav

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स्कूल से छूटे बच्चे

स्कूल से छूटे बच्चे

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इस आसमान के मैदान पर

ये जो उतर आए हैं बहुत से तारे

ये तारे नहीं हैं,

अभी अभी स्कूल से छूटे बच्चे हैं

जो बेतरह बस्तों को घसीटते

साथियों को च्यूँटी काटते

हाँफते दौड़ते

खुद के बौने कदों से आगे निकलते

भाग आए हैं बाहर।


इनके पास हैं अनन्त कहानियाँ,

गिर गए टिफिन की

सहेली के रिबन की

ज्यादा मिले सबक की

नेम स्लिप की चमक की

रोने की, हँसने की

गिनने की गुनने की

गुणा की, भाग की

सर्दी में आग की

छड़ी मंगाने की

गुड्डी तनाने की

रोज देर से आने की

गणित से भाग जाने की

लँगड़ी की, टँगड़ी की

हेडमास्टर की पगड़ी की,

कहानियाँ जो बड़ी हैं छोटी भी

कहानियाँ जो सच्ची हैं झूठी भी

कुछ नई हैं अभी कुछ पुरानी हैं

कुछ तो आ गयी हैं कुछ अभी लानी हैं


ये हँसी की हैं, इसमें रोना है

डर है इसमें जादू भी है टोना है

ये सितारे, सुबह की राह पर

इन कहानियों को गाऐंगे,

कुछ चमकेंगे, कुछ डूबेंगे, टूट जाऐंगे

टूटेंगे भी तो तुम्हारी मन्नत को रख लेंगे

और जलेंगे तो पूरी धरती को आँच देंगे

हो सके तो तुम चुप से, इनको सुन लेना

जो तुमको मालूम नहीं है वो इनसे मत कहना

इनके पास आँख है चमक है उजाला है

हवा ने झुलाया है इन्हें बादलों ने पाला है

बढ़ने दोगे तो ये भोर के पहाड़ तक पहुँच जाऐंगे

कसमसाते सूरज को अँधी सुरंग से बाहर लाऐंगे।



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