सीखो
सीखो
1 min
19
सूर्यमुखी का आज्ञाकारी बानो,
और इत्र सा महकना।
चींटी सा परिश्रमी बानो,
और शेर सा दहाड़ना।।
सिख पवन के झोंकों से लोग,
ठंडी हवा बहाना।
गंगा तथा यमुना से सीखो, मिलना और मिलाना।।
चांद की चांदनी से सीखो,
चमकना और चमकाना।
मां की ममता से सीखो,
अपना मातृत्व निभाना।।
सावन के मेघ से सीखो तुम,
मूसलाधार रस बरसाना।
शरद ऋतु के पेड़ों से सीखो,
दुख में ना घबराना।।
कमल से सीखो,
कीचड़ में खिल जाना।
गिरी से सीखो हरदम,
गौरव गिरी पर चढ़ना।।
प्रकृति से सीखे हरदम,
सच्ची सेवा करना।
'रोहित'से सीखे हम,
नित जारी रखना अपना काम।।
