शब्दों के बाण
शब्दों के बाण
गुल्लू एक सामान्य परिवार में रहने वाला बच्चा था जिसका जन्म ०७/०१/१९९४ को हुआ ये उस परिवार का ८ सदस्य था उसके घर में उससे बड़े ४ बहन और १ भाई पहले थे जैसा की इसके जन्म पर भी घर में बहुत सी खुशियां आई सब खुश थे की अब घर में २ लड़के है जैसा की उस समय हर किसी को घर में लड़का चाहिए होता था फिर अगर एक से अधिक हो तो बहुत अच्छा ( "एक लकड़ी को लकड़ी नहीं कहते" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता था बुजर्गो के द्वारा अगर घर में केवल एक लड़का हो तो ) क्योंकि घर में अगर एक को कुछ हो भी जाए तो दूसरा होगा, अर्थात इनका वंश आगे बड़ पाएगा !हिंंदू धरम में पंडितो का बहूत सम्मान किया जाता है उसी प्रकार गुल्लू के जन्म पर भी पंडित आया और उसने उस दिन ही बता दिया उसके माता पिता को की कैसा होगा गुल्लू कुछ करने से पहले ही गुल्लू के आचरण पर पंडित के शब्दों का ताला लग चुका था !
अब गुल्लू धीरेे - धीरे बड़ा हो रहा था लेकिन पंडित के कहे शब्द इसका पीछा नही छोड़ रहे थे जिस बच्चे को जीवन का ज्ञान भी न था उसको उस छोटी सी उम्र में अपने कर्मो का बोझ उठाना पड़ रहा था जिसकी एक गलती को भी अनदेखा करने की बजाए ये कहा जाता की पंडित के अनुसार इसका आचरण होता जा रहा है उस नन्हे से बच्चे के मन में ये बात बैठ गई की ओर अब वो कुछ करने से पहले ये सोचता की अगर वो कुछ गलत करेगा तो परिवार में सब यही कहकर बोलने लगेंगे उस बच्चे से अपना बचपन सिर्फ पंडित को गलत साबित करने में बीता दिया उसने पंडित को तो हरा दिया लेकिन उस जीत की कीमत उसको अपने बचपन को खो कर चुकानी पड़ी एक पंडित के कहे शब्द ने जीवन के बहुत से छन छीन लिए उस बच्चे से।
