शायद... अब तुम कभी आ न सकोगे
शायद... अब तुम कभी आ न सकोगे
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उस दिन जब तुम गए थे
अचानक...
देश के लिए अपना
फर्ज निभाने...
तुम्हारे लिए ,
मेज पर रखी हुई
चाय भी ठंडी हो गयी थी...
जल्दी आऊंगा... बस
इतना केहकर...
गले लगाया था...
उस दिन से लेकर
आजतक...
मैं तुम्हारी ही राह
देख रही हूँ ...
शायद...
अब तुम कभी आ न सकोगे...
तुम्हारी एक चीज
तुम मेरे पास ,
छोड़कर गए थे...
या शायद भूल गए थे...
जो तुम मेरे लिए
लाए थे...
तुम्हारे उस मोगरे के
फूलों की खुशबू से
आज तक...
हमारा घर ,आँगन
महक रहा है...
तुम्हारी यादों की तरह....
