रिश्तों की पोटली
रिश्तों की पोटली
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कुछ उलझे से, कुछ मुरझाये से
कुछ सुलझे से, कुछ सुलझाये से
सजे थे जो ख्वाबों की चादरों से
कुछ यादें निकल आयी रिश्तों
की पोटली से
कुछ कैद थे, कुछ गुमनाम से
लगते अलग-अलग पर थे कुछ
हम नाम से
खुशनुमा यह सारा माहौल हो गया
खुली जब रिश्तों की पोटली तो
वह माला माल हो गया
रिश्तों की पोटली यह अजीब है
जो न समझें इसे वह खुद की
नज़रों में नजीब है लेकिन
सच कहूँ तो वह ही बदनसीब है
सम्भाल सकें जो यह रिश्तों की
पोटली, वह ही खुशनसीब है
नजीब = कुलीन व्यक्ति।