रौशनी
रौशनी
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रूठा अगर कभी तो रोने नहीं देती
बना बनाया काम ये होने नहीं देती
है ख़्वाबों को मेरी नींद का इंतज़ार
हकीक़त है की मुझे सोने नहीं देती
है सुनाती ये रात रोज़ बीती कहानी
इश्क़ का नया बीज़ बोने नहीं देती
सोचता हूँ के भाग जाऊँ ज़माने से दूर
लौटने की आदत मुझे खोने नहीं देती
है कोई जगह अश्क बहाने को बताओ
घर में फैली रौशनी मुझे कोने नहीं देती
