रावण
रावण
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मैं फिर लौट के आया हूँ
देख
मैं फिर लौट के आया हूँ
हे राम सुनो,
हे राम सुनो, हे कलयुग के
अभिमान सुनो
धरती को चीरते बाण सुनो
हे चीखते हुए पाताल सुनो
मैं रावण हूँ, मैं रावण हूँ,
मैं अति क्रूर, निर्दयी भी हूँ
तू क्या जाने मैं कौन हूँ
मैं निडर हूँ
और तेरा डर भी हूँ,
तेरे अभिमान से भी
महान हूँ। तेरे मन में
डर का साया हूँ
मैं वहीं लंकेश दशानन हूँ
मैं फिर लौट के आया हूँ
सिर्फ तुझे मिटाने आया हूँ।
मैं था खलनायक
उस रामायण का
हाँ
मैं था खलनायक
उस रामायण का
आज मैं नायक हूँ
इस कलयुग का।
मैं रावण हूँ, मैं रावण हूँ,
मैं अति क्रूर, निर्दयी भी हूँ
तू क्या जाने मैं कौन हूँ
मैं निडर हूँ
और तेरा डर भी हूँ,
तेरे अभिमान से भी
महान हूँ। तेरे पाप का
संहारक हूँ
मैं फिर लौट के आया हूँ,
देख..
मैं फिर लौट के आया हूँ।
