रातें....
रातें....
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ये रातें और उसकी बातें
मुझे सुकून देती है
दिन भर की पहेलियाँ सुलझाने के बाद
ये मुझे रात की खामोशियों में ले आती है ......
ये रातें मुझे सपनों की दुनिया में ले जाकर
मुझे मुझसे ही मिलाती है ,
वरना दिन भर कहाँ ख़ुद से मिलना होता है
ये रात के अंधेरे मुझे शब्दों की नगरी ले आते हैं
और कुछ तारें मेरे लिए शब्द उठा ले आते हैं ......
एक साम्य है रात और मेरे में
उसके पास जागते हुए चाँद सितारे है
और पास शब्द और हमारे नजारे है .....
कुछ लोग कहते हैं कि रात अकेली होती है
पर ऐसा नहीं होता क्योंकि उसके साथ
सपनों में खोने वाले बहुत होते हैं ......!