प्यार व क्रश
प्यार व क्रश
आज एक भाई ने क्रश का मतलब पूछ डाला था,
जिसे दूसरे भाई ने क्या खूब बतलाया था।
ये बात तो सिर्फ बात की तरह शुरु हुआ था,
पर इसमे जो सच्चाई थी वो सामने आया था।
सही कहा था उन्होने ये तो जवानी का पहला प्यार ही तो है,
जो ना जाने किस-किस पर आ जाता है,
जो आज किसी और पर है
वो कल किसी और पर चला जाता है।
वैसे तो परिवर्तन ही प्रकति का नियम है,
तो प्यार भी परिवर्तन हो जाता है।
दुनिया कितना विकास कर गयी,
जिसे कहते थे प्यार उसे क्रश नाम दे गयी।
अब तो क्रश ऎसे बदलते जाते हैं,
आज किसी और पर है कल किसी और पर हो जाते हैं।
कहते हैं क्रश वो होता है जिससे तुम प्यार करते हो,
लेकिन इजहार करने से डरते हो,
लेकिन ये क्या सही मे प्यार है,
जो आज किसी और से कल किसी और से करते हो।
क्यूँ करते हो यूँ प्यार को बदनाम क्रश का नाम देकर,
प्यार तो कहलाता है आबाद भले ही चाहे जान देकर।
प्यार नहीं होता है सिर्फ शारीरिक सुन्दरता देखकर,
प्यार तो होता है दिल की धड़कन सुनकर।
क्रश तो जीते जी बदल जाया करते हैं,
पर प्यार करने वाले तो मरने के बाद भी किया करते हैं।
क्यूँकि प्यार तो होता है आत्मा से और आत्मा कभी मरती नहीं,
जो वो मर गयी तो फिर किसी से प्यार करती नहीं।
