पुरानी दिल्ली रेल्वे स्टेशन
पुरानी दिल्ली रेल्वे स्टेशन
काफ़ी दिनों के बाद मेरा आना हुआ था
स्कूल की छुट्टी जो हो गई थी,
मेरी ट्रेन हमेशा यहीं आके रुकती थी
बस कभी-कभी प्लेटफॉर्म बदल जाया करते थे,
पर स्टेशन नहीं,
वहीं पुरानी दिल्ली वाला स्टेशन
जहां से अपने घर के लिए,
दूसरी ट्रेन लिया करती थी
हाँ आज भी याद है मुझे,
एक संदूक, कुछ बैग्स
मैं और पापा,
और वो वज़न तोलने वाली मशीन
जो हमेशा किसी पिलर से सटकी,
खड़ी रहती थी
कभी-कभी बच्चों के बीच में,
घिरी हुई, और
कभी-कभी बड़ों की लाइन में,
हमेशा चलती रहती
मैंने भी कई दफ़ा खड़े होकर,
अपने बारी आने का इन्तज़ार किया है
वहीं तो एक याद है,
जो रेल्वे स्टेशन और सबके बचपन को जोड़ती है
काफ़ी पुरानी यादें है,
अब शायद याद बनकर ही ज़हन में रहेगी
दिल्ली स्टेशन बदला नहीं,
बस कुछ रोज़ आगे बढ़ गया
वहीं प्लेटफॉर्म है,
वहीं गाड़ियाँ
बस एक कमी है,
लेकिन आज के दौर में उस कमी को सब भूल से गये है
वहीं पुरानी दिल्ली वाला स्टेशन,
जो आज अब नया सा लगता है।
