पुराने दोस्त
पुराने दोस्त
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जब यार पुराने साथ में हो और यादें ताज़ा हो जाए,
फ़ुरसत के कुछ लम्हें हो कोई ज़िक्र पुराना हो जाए,
बचपन की यादों के कुछ किस्से हों बतियाने को,
उन क़िस्सों के हिस्सों में सुबह से शाम हो जाए,
जिन गलियों में भाग दौड़ कर खूब पतंगे लूटी थी,
पैदल पैदल उन गलियों की सैर दोबारा हो जाये,
दोस्तों के साथ जहां हर शाम रौनकें सजती थी,
मोहल्ले के उसी पार्क में एक शाम फिर से हो जाये,
क्रिकेट, छुपन-छुपाई, पकड़म-पकड़ाई खेलों से,
जिंदगी कहाँ ले आयी है इस बात का चर्चा हो जाये,
ऐ दोस्त मेरे! एक बात बता, तू कहां था इतने सालों से?
साथ बैठ! कुछ बात करें! ये दिल भी हल्का हो जाये!
