पुकार
पुकार
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आगे चल, तू आगे चल, ना रुक कहीं,तू आगे चल।
जीवन के हर मोड़ पर,प्रगती के इस पथ पर,
दिखला देना सबको तुम,ना कभी हम होंगे कम।
कितने आए,कितने गए,रोक सके ना कोई हमें
'पांडे'जी की 'मंगलता से,'गांधी' जी की 'महानता तक,
बिना रूकावट चलते आये,चलते रहेंगे।
कौन कहता मैं बंट चुकी हूं ?कौन कहता मैं टूट रही हूं ?
कहने वालों को कहने दो, उन सबको तू इन्कार कर।
इतिहास के इन पन्नों को,कितने दिन तुम दोहराओगे?
आज के इस दौर मे,खुद को कैसे तुम आजमाओगे?
शिक्षा ले,तू बचपना छोड़ ,भाई बन, तू झगडा़ छोड़,
जो कहता कमजोर तुमको,दिखला देना ताकत तुम उनको।
हां मां,मैं कर दिखलाऊंगा,खूब पढूंगा ,खूब लड़ूंगा,
देश को आबाद करुंगा
ना रुकूंगा, ना रोकुंगा,भारत भू की अखंडता को
मरते दम तक, बरकरार रखूंगा।