Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

permila Bedi

Others

2  

permila Bedi

Others

पथराई सी बूढ़ी आँखे

पथराई सी बूढ़ी आँखे

1 min
248


पथराई सी बूढ़ी आँखें

जाने क्या क्या सहती है

बह न जाए अनमोल आँसू

इस डर से चुप रहती है


पता नहीं था, जाया उसका

उससे ही मुँह मोड़ेगा

मर्यादा में रहने वाला

खुद मर्यादा तोड़ेगा

उजड़ा देख चमन सुंदर सा

मुँह से कुछ न कहती है

पथराई सी बूढ़ी आँखें

जाने क्या क्या सहती है।


बहा-बहा कर लहू- पसीना 

बगिया को दिल से सींचा था 

अपना दर्द छुपा कर उसने

घर का पहिया खींचा था

पहले जीना- जीना था पर

अब हर पल सांसे ढहती है।

पथराई सी बूढ़ी आँखें

जाने क्या क्या सहती है।


महल रेत के ढहे पलों में

जिनमें धन था अगणित लगा

हुई गज़ब की छीना झपटी

बचा नहीं सम्बंधी- सगा

दुख है उसको सब कुछ होते

सांसें सदा दहकती है

पथराई सी बूढ़ी आँखें

जाने क्या क्या सहती है।


राह निहारे इंतज़ार में

कोई कभी तो आएगा

मन का पंछी किसी समय तो 

मीठी राग सुनाएगा

यही सोच धड़कनें फूल सी

खिलती और महकती है

पथराई बूढ़ी सी आँखें

जाने क्या -क्या सहती है


Rate this content
Log in