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Kanchan Jain

Others

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फर्क कल था फर्क आज भी

फर्क कल था फर्क आज भी

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कुछ कमियां तुझमें है,

कुछ मुझ मे भी फर्क सिर्फ इतना है।

तुम गिनते रहे, मैं नज़रअंदाज़ करती रही।

कुछ गलतियां तुम्हारी थी,

कुछ मेरी भी फर्क सिर्फ इतना है,

तुम याद रखते रहे ,मैं भूलाती रही।

कुछ ख्वाहिशें तुम्हारी थी,

 कुछ मेरी भी फर्क सिर्फ इतना है ,

तुम्हारी पूरी करते करते ,मै अपनी भूल गई ।

कुछ सपने तुमने देखें,

कुछ मैंने भी,फर्क सिर्फ इतना है ,

तुम्हारे सपनों को अपना बनाते बनाते,

 मैं सपने देखना भूल गई।

आखिर मैं समझ गई यूं ही कहते हैं लोग

नर और नारी एक समान ,

क्योंकि फर्क कल था फर्क आज भी है


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