पहली बूँद
पहली बूँद
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पहली बूँद की क्या बात करे
जब वह गिरती है हर वन
उपवन हो जाता हैं।
काले दिख रहे थे बादल
जैसे कोई नैनो का काजल।
तभी गिरि एक बूंद
चोटी गोल और मटोल।
बूँद के बाद बूँद गिर रही थी
और वो रो रही थी।
तब फैला काजल देख
प्रश्न उठा मुझे एक।
क्यो रो रही थी वो
पूछने पर पता चला
वो ढूंढ रही थी किसी को।
