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पापा के लिए कविता

पापा के लिए कविता

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बहुत लिखी गईं हैं माँ पे कहानियां ,

लेकिन आज कहानी उनकी मुझे लिखनी है ,

बहुत लिख लिया मेरे कलम ने प्यार मोहब्बत की दास्तान ,

आज कलम की सहाई से ये पन्नों पे उनके प्यार को सजानी है ,

हो जाए अगर कुछ गुस्ताख़ी 

तो माफ़ कर देना पापा ,

क्यूंकि आप से ही ये हुनर मैंने पाई है ,

कि अगर कुछ गलती हो जाए तो उसे सही कैसे करना ,

ये आपसे ही तो विरासत में मैंने पाई है..!!


आज ख़ुद को मैं ख़ुश नसीब मानती हूँ ,

कि औरों की तरह न कूड़े में फेंका गया मुझको 

कि कहाँ से आ गई ये लड़की 

ये न सुनाया गया मुझको ,

पाला बड़े ही नाजों से आपने ,

पलकों पे भी बिठाया मुझे,

कि हूँ ना मैं किसी से कम 

इस बात का कभी ना एहसास दिलाया ये मुझे आपने ..!!


बचपन से देखा जिनको 

जो हर धूप और बारिश में तपते थे ,

हां , वो मेरे पापा ही थे ,

जो मेरी एक मुस्कान के लिए ,

हर सुख दुःख को चुपचाप ही सह लेते थे ..!!


जो ख़ुद गांव में रहकर ,

हमें शहर में पढ़ने के लिए छोड़ गये थे ,

हां , वो मेरे पापा ही थे 

जो मेरे सपने के लिए अपने सपनों को अधूरा छोड़ गए थे ...


जब मैं अव्व्ल आती थी तो गर्व से सर ऊंचा करते थे,

हां , हूँ मैं किसी से नहीं कम ,

ये कहकर शाबाशी मुझे देते थे..!!


जो मेरे खुशियो के लिए अपनी खुशियाँ कभी ना सोचते थे,

हां , वो मेरे पापा ही हैं ,

जो मेरे बिना बोले ही सब कुछ मुझे दे देते हैं ..!!


बिना अपने मन की बात किसी से कहे,

सब कुछ ख़ुद ही सह जाते हैं ,

हां , है मुझे किसी चीज़ की ना कमी ,

हर बार मुझे यही कह जाते हैं ,

जो मेरे लिए सब से लड़ जाते हैं ,

कि हां ,है मेरी बेटी,

है इसे भी पढ़ने का हक़,

क्यूँ नहीं है बेटी को आगे बढ़ने का हक़ ,

पूछ कर ये सवाल ,

वो हर उस इंसान को ये एहसास दिलाते हैं,

कि बेटी नहीं है किसी है किसी से कम 

इस सच से वो अवगत करवाते हैं ..!!


जिन्होंने बिना कोई फ़ीस के ,

ज़िन्दगी के हर छोटे बड़े ज्ञान से अवगत कराया मुझको ,

कि ये ज़िन्दगी कैसे जीते हैं,

कि हर छोटी बात पे नहीं रोते हैं ,

कि हर रात के बाद ही सवेरा होता है,

कि हर अँधेरे के बाद ही उजाला होता है,

हां, ये सारी सीख़ आप ही तो मुझे देते हैं..!!


पापा 

ये आपकी ही दुआ है जो,

मैं ये मुकाम पे आई हूँ ,

करती हूँ आज उस ख़ुदा का सजदा 

कि आपकी बेटी कहलाई हूँ ..!!!



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